ईमान बेचना होगा जनाब ,
फसलों की कीमत से अब गुजारा नही होता ।
ये पंक्तियां दिल्ली में हमने किसी साहिबा को अपने शायराना अंदाज से प्रभावित करने के लिए सुनाई तो वे हमें bloody cheap farmer- खूनी सस्ता किसान ,बोलकर कट ली । हमारी औकात और जिंदगी की कीमत के हिसाब से सस्ते और किसान तो हम थे लेकिन साला खूनी कैसे हो गए ये समझ नही आ रहा , शायद कभी हरी फसल काटी हो ।
P. S> मुझ जैसे गंवार को कमेंट्स में अंग्रेज़ी ना सिखाये ।
और हाँ किसान दिवस मुबारक हो , उनको भी जो नही हैं ।
फसलों की कीमत से अब गुजारा नही होता ।
ये पंक्तियां दिल्ली में हमने किसी साहिबा को अपने शायराना अंदाज से प्रभावित करने के लिए सुनाई तो वे हमें bloody cheap farmer- खूनी सस्ता किसान ,बोलकर कट ली । हमारी औकात और जिंदगी की कीमत के हिसाब से सस्ते और किसान तो हम थे लेकिन साला खूनी कैसे हो गए ये समझ नही आ रहा , शायद कभी हरी फसल काटी हो ।
P. S> मुझ जैसे गंवार को कमेंट्स में अंग्रेज़ी ना सिखाये ।
और हाँ किसान दिवस मुबारक हो , उनको भी जो नही हैं ।