मरूँगा मैं भी
पर मैं लड़कर मरूँगा
लडूंगा मैं समर के अंत तक
लडूंगा मैं अगले जन्म तक
मैं पार्थ नहीं ,
ना सही
मैं लडूंगा एकलव्य बनकर
मेरे तरकश के तीर ख़त्म हो जायेंगे ,
मैं तब भी लडूंगा
सारे रणबांकुरे मारे जाएंगे ,
मैं तब भी लडूंगा
और लडूंगा ,
जब तक ,
मैं ख़ुदा से वो कलम नहीं छीन लेता
जिससे वह तक़दीर लिखता है
और इस कलम से सृष्टि के अंत तक काल रेखाएं खींच दूंगा
अनन्त लंकाधीशों को मारकर मुठ्ठी में भींच लूँगा ||
||
मुझे पागल कहना ,
तुम्हारी आदतों का हिस्सा था
मेरा पागल होना ,
मेरी किस्मत का किस्सा था
एक बार तो मुझे पहचाना होता
मेरे अंदर भी एक समंदर था ।।
यूँ ना अब वो समंदर सूखेगा
यूँ ना अब वो मस्तक झुकेगा
फिर चाहे महाभारत सा रण हो जाए
मैं भीष्म हो जाऊंगा,
मैं शर-शय्या पर सो जाऊंगा,
मैं तब भी ना मर पाऊंगा,
फिर चाहे ख़िलाफ़ ये प्रण हो जाए ।।
पर मैं लड़कर मरूँगा
लडूंगा मैं समर के अंत तक
लडूंगा मैं अगले जन्म तक
मैं पार्थ नहीं ,
ना सही
मैं लडूंगा एकलव्य बनकर
मेरे तरकश के तीर ख़त्म हो जायेंगे ,
मैं तब भी लडूंगा
सारे रणबांकुरे मारे जाएंगे ,
मैं तब भी लडूंगा
और लडूंगा ,
जब तक ,
मैं ख़ुदा से वो कलम नहीं छीन लेता
जिससे वह तक़दीर लिखता है
और इस कलम से सृष्टि के अंत तक काल रेखाएं खींच दूंगा
अनन्त लंकाधीशों को मारकर मुठ्ठी में भींच लूँगा ||
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मुझे पागल कहना ,
तुम्हारी आदतों का हिस्सा था
मेरा पागल होना ,
मेरी किस्मत का किस्सा था
एक बार तो मुझे पहचाना होता
मेरे अंदर भी एक समंदर था ।।
यूँ ना अब वो समंदर सूखेगा
यूँ ना अब वो मस्तक झुकेगा
फिर चाहे महाभारत सा रण हो जाए
मैं भीष्म हो जाऊंगा,
मैं शर-शय्या पर सो जाऊंगा,
मैं तब भी ना मर पाऊंगा,
फिर चाहे ख़िलाफ़ ये प्रण हो जाए ।।
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