Sunday, 23 December 2018

ईमान बनाम किसान

ईमान बेचना होगा जनाब ,
फसलों की कीमत से अब गुजारा नही होता ।

ये पंक्तियां दिल्ली में हमने किसी साहिबा को अपने शायराना अंदाज से प्रभावित करने के लिए सुनाई तो वे हमें bloody cheap farmer- खूनी सस्ता किसान ,बोलकर कट ली ।  हमारी औकात और जिंदगी की कीमत के हिसाब से सस्ते और किसान तो हम थे लेकिन साला खूनी कैसे हो गए ये समझ नही आ रहा , शायद कभी हरी फसल काटी हो ।

P. S> मुझ जैसे गंवार को कमेंट्स में अंग्रेज़ी ना सिखाये ।
और हाँ किसान दिवस मुबारक हो , उनको भी जो नही हैं ।

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