दिल्ली का पारा जितना गिर रहा है , हनुमान जी के आसपास कि सियासत उतनी ही गरमा रही है | गत रात सपने में मुझे हनुमान दिखे | उनकी देह गरम लोहे सी तप रही थी | वे अपने दलित होने के दस्तावेज लिए अपने क्षेत्र के तहसीलदार को ढूंढ रहे थे | मैंने अपनी मैली रजाई फ़ौरन उतार फेंकी |
खैर , हनुमान जी का जातिप्रमाण पत्र तो मैं मांगूंगा नहीं फिर भी तथाकथित राजनैतिक बुद्धिजीवियों के बीच अपना मत रखना चाहूँगा |
सीता का पता लगाने के लिए हनुमान को आरक्षण की मदद से चुना गया था | भगवान राम खुद क्षत्रिय होते हुए भी आरक्षण के खिलाफ न जा सके थे उल्टा उन्होंने निजी मामले मे आरक्षण को प्राथमिकता दी | तब से यह हिन्दू संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया है और इसी आधार पर निजी क्षेत्र मे आरक्षण की पैरवी की जा सकती है |
दूसरा सबूत यह है कि दलित होने की वजह से हनुमान को रावण (उम्मीद है रावण के पंडित होने का प्रमाण पत्र मुझसे नहीं माँगा जायेगा )के दरबार मे तिरस्कृत किया गया था | इसी वजह से उनकी पूंछ में भी आग लगाई गयी | ST-SC ATROCITIES ACT पर चर्चा तब भी हुई थी लेकिन तब लोकतंत्र ना होने और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व की वजह से मामला कलयुग के लिए टाल दिया गया |
लोकतंत्र से याद आया सबको अपना मत रखने का अधिकार है तो क्यों ना हनुमान जी से भी इस विषय पर कुछ पूछा जाए | उनकी आधार डिटेल्स के आधार पर (गौरतलब है हनुमान, आत्मज पवन, के आधार कार्ड बनने कि खबरे फेक न्यूज़ कि तरह फैली थी ) उन्हें पहचान कर उन तक पंहुचा जा सकता है |
मेरी पोस्ट में logic ढूंढने वाले निश्चित रूप से नास्तिक हैं और मुझसे बड़े अतार्किक भी | खैर , आग लगी है और मैं ठंड की वजह से आग के पास आया हूँ | मेरे बगल में लोकतंत्र बड़े मजे से गांजा फूंक रहा है और मुझे भी हल्का-हल्का सुरूर हो रहा है तो विदा लेता हूँ |
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