अभी-अभी जो गुजरा है !
जो नि:शक्त सा था !
हाँ-हाँ ,
वही तो वक्त था |
पहले बहुत बड़ा सा
हाथी जैसा ,
बेडौल हुआ करता था |
पूरब से पश्चिम तक सूरज संग चला करता था |
अब बहुत बदला सा लगता है ?
घड़ियों में बंध गया है ,
तीन सुइयों में बंट गया है
बेशक वक्त बहुत बदल गया है |
नुक्कड़ पर जो इकलोती बत्ति जलती है
जलती है , बुझती है
धुंधली भी हो गयी है ,
ठीक वैसे ही जैसा वक्त हो गया है !
काला-कलूटा ,
भूतों से भी भयावह
पत्थरों से सख्त है
हाँ-हाँ
वही तो वक्त है !
मुझमे और ख़ुदा में अंतर क्या है ?
दरिया ग़र रोक दूं , समन्दर क्या है ?
नशा ना हो जाम में , मयखाने क्या हैं ?
पलट कर हमे भी देख मल्लिका-ए-हुस्न
नजरें ग़र ना हों , नजराने क्या हैं ?
जो नि:शक्त सा था !
हाँ-हाँ ,
वही तो वक्त था |
पहले बहुत बड़ा सा
हाथी जैसा ,
बेडौल हुआ करता था |
पूरब से पश्चिम तक सूरज संग चला करता था |
अब बहुत बदला सा लगता है ?
घड़ियों में बंध गया है ,
तीन सुइयों में बंट गया है
बेशक वक्त बहुत बदल गया है |
नुक्कड़ पर जो इकलोती बत्ति जलती है
जलती है , बुझती है
धुंधली भी हो गयी है ,
ठीक वैसे ही जैसा वक्त हो गया है !
काला-कलूटा ,
भूतों से भी भयावह
पत्थरों से सख्त है
हाँ-हाँ
वही तो वक्त है !
मुझमे और ख़ुदा में अंतर क्या है ?
दरिया ग़र रोक दूं , समन्दर क्या है ?
नशा ना हो जाम में , मयखाने क्या हैं ?
पलट कर हमे भी देख मल्लिका-ए-हुस्न
नजरें ग़र ना हों , नजराने क्या हैं ?