Saturday, 22 July 2017

जब मनिया गाँव से गुम  हुआ तो चौदह बरस का था | आज पूरे आठ साल बाद लौटा है  वही चेहरा, कद-काठी, नैन-नक्श सब वैसे ही तो हैं | सब मनिया को घेर खड़े हुए हैं और मनिया कह रहा है :
       मैं जब नींद से उठा तो एक अजीब देश में था | वहाँ की औरतों का सौन्दर्य देखते ही बनता था, बाल इतने घने और लम्बे कि जब चलती तो बुहारी आप ही लग जाती थी | कहते हैं,वहाँ जवानी के बाद वक्त और उम्र रुक जाती है |
 मेरे बाल मुंडवा कर एक नुक्कड़ पर रख दिए गये थे | ये बाज़ार था बालों का बाजार जहाँ कई देशों से लाये हुए   नाना तरह के बाल रखे हुए थे|  सुंदरियां उन्हें अपने  बालों में जोड़कर आइना देखती और फिर मुस्कुराकर एक गुच्छा उठा लेती | ये हसीन शैतानो का देश था--कांगरू देश |
          मनिया गमछा उठा अपने मुंडे माथे का पसीना पोंछते हुए बात पूरी करता है | चौपाल पर चुप्पी छाई हुई है यकायक एक चीख सुनाई देती है दीना की छोरी के बाल कट गये रे हाय अनर्थ हो गया अनर्थ | गाँव दीना के चौक में आ खड़ा हुआ है | सब मनिया कि तरफ घूरते हैं और मनिया कांगरू देश कि तरफ | मेरे  हाथ स्वतः  ही फेसबुक पर पोस्ट लिखने लग जाते हैं  मैं कांगरू देश कि उन हसीनाओं  को टैग करना चाहता हूँ पर मनिया कहता है वहाँ फेसबुक बैन है |

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