इस शहर कि परतें उधड रही हैं
और मुझ पर आ लिपटी हैं
नित नूतन होता यह,
अब चमकने लगा है
इसकी पुरानी ,जूठी परतों तले दबा
मैं भी बदल सा गया हूँ
बदले मायने लेकर गाँव पहुँचता हूँ
मेरा गाँव मुझे धिक्कार देता है
पहचानने से भी कतरा जाता है
मैं लौट आता हूँ
इस शहर से एक और सौदा कर लेता हूँ
और मुझ पर आ लिपटी हैं
नित नूतन होता यह,
अब चमकने लगा है
इसकी पुरानी ,जूठी परतों तले दबा
मैं भी बदल सा गया हूँ
बदले मायने लेकर गाँव पहुँचता हूँ
मेरा गाँव मुझे धिक्कार देता है
पहचानने से भी कतरा जाता है
मैं लौट आता हूँ
इस शहर से एक और सौदा कर लेता हूँ
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