आईनों से सजी दीवारें ,
अनन्त महत्वाकांक्षाएं ,
ताकती उम्मीदें
सब मुझे आ घेरे हैं
और मैं टुकड़ों में बंट गया हूँ |
ढलते सूरज ने मिसालें दी हैं
मैं फिर उठ गया हूँ |
इस बार दीवारें और मजबूत हो गयी हैं
सीसों की धूल झाड दी गयी है
पैरों को हल्का सा काट कर दौड़ की दूरी बढ़ा दी है
काल करम दोहरा रहा है
और मैं फिर कलम के इर्द-गिर्द बिखर रहा हूँ
अनन्त महत्वाकांक्षाएं ,
ताकती उम्मीदें
सब मुझे आ घेरे हैं
और मैं टुकड़ों में बंट गया हूँ |
ढलते सूरज ने मिसालें दी हैं
मैं फिर उठ गया हूँ |
इस बार दीवारें और मजबूत हो गयी हैं
सीसों की धूल झाड दी गयी है
पैरों को हल्का सा काट कर दौड़ की दूरी बढ़ा दी है
काल करम दोहरा रहा है
और मैं फिर कलम के इर्द-गिर्द बिखर रहा हूँ
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