निर्वाक-निनाद
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About The Blog: क्या और क्यों
Friday, 6 October 2017
सारे निशान जो तेरे थे,
मिटा दिए हैं
सारे ख़त जो तेरे थे ,
जला दिए हैं
रात भी है और चाँद भी
सारे सितारे जो तेरे थे ,
छुपा दिए हैं
जश्न होगा क़त्ल-ए-मुहब्बत का अब ,
सारे सपने जो तेरे थे ,
भुला दिए हैं
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