Friday, 6 October 2017



 
  सारे निशान जो तेरे थे,
   मिटा दिए हैं
  सारे ख़त जो तेरे थे ,
   जला दिए हैं
 रात भी है और चाँद भी
   सारे सितारे जो तेरे थे  ,
    छुपा दिए हैं
जश्न होगा क़त्ल-ए-मुहब्बत का अब ,
  सारे सपने जो तेरे थे ,
    भुला दिए हैं

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