निर्वाक-निनाद
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About The Blog: क्या और क्यों
Sunday, 31 January 2016
किस्मत
अभी किस्मत मिली थी तुम्हारी ,
अंधी , नादान, भटकी हुई ,
चिल्ला रही थी ,
पुकार रही थी , पुरुषार्थ को
और पुरुषार्थ अंगडाई ले रहा था .
सपनो के रंगमंच पर |
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