दो चरित्र पाले जा रहे हैं ,
आदिकाल से !
परदे के दोनों तरफ ,
एक दूसरे से अनजान |
कब से सींचे जा रहे हैं ,
विपरीत विचारधाराओं से |
विचारधाराएँ ?
जो पैदा की गयी हैं ,
हालातों का इस्तेमाल कर,
मनोदशाओं पर वार कर |
कब से बदलते रहें है ,
हालत !
बनाये गये हैं , बिगाड़े गये हैं
जानबूझकर ,स्वार्थों को निचोड़ कर |
फिर एक दिन टकरा जाते हैं |
दोनों चरित्र
पूर्ण विकसित
अपने-अपने मायनों में |
चिंगारियां अब तक निकल रही हैं ,
लपटों से घिरी ,
जली-भुनी सभ्यताओं की राख में
दो चरित्र फिर पाले जा रहे हैं ,
परदे के दोनों तरफ |
अन्नत काल तक !!
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