गाँव की भोर / अहसास
कुछ ढोर घुसे हैं खेत में
टोर्च की रोशनी से देखना है ,
आँखे काफी नही अँधेरा चीरने को |
शांति पुंज फूट रहा है जर्रे-जर्रे से
चुप्पी घोर , गहरी ,डरावनी है,
बड़ा प्यारा है डर ,
अहसास कराता है, अपने होने का |
ट्रकों की आवाज सुनाई दे रही है
चार कोस दूर हाईवे से ,
दिन में नही देती ,
सुना है दिन में अक्सर परिवेश शोर मचाता है |
चुप्पी अहसास कराती है
किसी के साथ का ,
अकेलेपन का ,
दोनों एक साथ ??
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