रेलगाड़ी गुजर जाएगी ,
कल फिर आएगी |
चर्चा चार दिन होगी ,फिर दुनिया भी भूल जाएगी |
निर्मूल हो जायेंगी आशाएँ ,
कुल कलंकित होगा ,
कल का इज्जतदार कुल कल को अपमानित होगा |
अब भी नहीं पिघला तू ?...
तो तू शायद मनुज नहीं |
कर रहा है आज जो तू , करेंगे तेरे अनुज वही |
आत्मघात है यह , कोई समाधान नहीं |
किसके जीवन में व्यवधान नहीं ?
लौट आ भव में |
राह ,राहगीर ढूंढ रहे |
चेतना तो नहीं होगी शव में
हो सकता है .......
कल शव को चेतना की कमी खले |
No comments:
Post a Comment