Friday, 16 February 2018

किसान -साब कर्ज चाहिए 
बैंक -कितना ?
बीस हजार 
हैं !! अरे भाई कुछ ज्यादा मांग लो ?
किसान- ??
देखो कल को कर्ज चुका ना पाए तो लटकने के लिए मजबूत रस्सी तो चाहिए ना | हमारा डिफाल्टर जिन्दा बचे ऐसा हम थोड़े ना होने देंगे |
साब डिफाल्टर ?
अरे तुम साला गंवार ही रहोगे | अब देखो , मोदी जी को पैसों के साथ हमने टिकट्स भी मुफ्त दी थी ताकि पकडे जाने से पहले वो देश छोड़ सकें |
पर हमे तो देश नहीं छोड़ना , हम देश भक्त हैं साब |
अरे तुम देशभक्त हो ना इसलिए दुनिया छोडनी होगी, हाँ अगर  सिर्फ "भक्त" होते तो देश छोड़ने से काम चल जाता और वैसे भी तुम्हारी रस्सी हीरे जितनी मजबूत तो ठहरी ना |

Monday, 12 February 2018

प्रेम-दिवस निकट आ रहा था
पप्पू पकोड़े तल रहा था
हमारा भविष्य था कि ,
विकट लग रहा था |
गलियारों में इश्क़ कि बयार चली थी
वक्त वो था ,
जब दिल में इश्क़ कि उम्मीद पली थी |

अचानक कुछ यूँ घोष हुआ
हर आशिक़ मदहोश हुआ |
सुना इश्क़ बिक रहा था ,
उसी ठेले पर,
जहाँ पप्पू पकोड़े ताल रहा था |

रण-वाहिनियाँ सी आ डटी थी
वक्त वो था ,
जब पहली बार हमारी भी फटी थी |
गुलाब, चॉकलेट सब अस्त्र-शस्त्र से तन गये थे
जो जीते रांझे बन गये थे
कहते हैं ,
जो थे पराजित सब कवि बन गये थे |

जख्म उस रण के
अब भी ना भूल पाता हूँ
टूटी-फूटी सी दिल कि कलम है
जख्मों से रिसते लहू को स्याही बना लेता हूँ ||