अब भी लहराती है
पवन के स्वागत में
एकदम सूखी ,सुनहरी |
राह देखती है
किसी मेघ की
सदियों से मिलने नही आया वो
हर बार तड़पा जाती है
बिन पानी वाली हवा
किसी जंग में मारा गया वो ??
आजकल रण जोरों पर है
या बेवफ़ाई कर गया ??
नही ,वो बरसेगा एक दिन
मुझे ना पाकर
फूटकर ,प्रलय लेकर
सबको डुबोने |
प्रीत का इम्तिहान है
हल की नोक उखाड़ देती है
समूल , पर
अब भी लहराती है
पवन के स्वागत में
एक दम सूखी ,सुनहरी |
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