Saturday, 17 January 2015




                   आज से कुछ सालों पहले अन्ना जी के साथ मिलकर किरण बेदी और अरविन्द केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम शुरु की थी | कोई समाधान नजर ना आने पर केजरीवाल ने नयी राजनैतिक पार्टी का गठन कर लिया ,अन्ना एंव बेदी को भी न्यौता दिया गया पर उन्हें ये अनुचित लग रहा था |दिल्ली में चुनाव हुए बेदी ने "आप" की आलोचना की पर जनता ने उसके प्रयास को सराहा | यहाँ तक सब ठीक था अब जब फिर से चुनाव होने जा रहे हैं तो बेदी ने बीजेपी ज्वाइन कर आप के खिलाफ लड़ना उचित समझा है |बीजेपी उस समय भी अस्तित्व में थी जब वो राजनीती से तौबा कर रहीं थी ,विरोध कर रही थी इसी पार्टी का | केजरीवाल की 49 दिन की सरकार ने कोई घोटाला नही किया ,फिर भी बेदी जी केजरीवाल के खिलाफ चुनावी जंग में हैं वो भी बीजेपी से !!! राजनीती से दूर रहकर केजरीवाल का विरोध पूरी तरह उचित था लेकिन ये कितना उचित है ??बीजेपी में घुसकर लड़ना |न्यौता तो उन्हें आप से भी मिला था वो भी पार्टी के नेतृत्व का |तब क्यों स्वीकार नही किया ??
इन सब सवालों के दो ही जवाब संभव हैं :1:चूंकि केजरीवाल ने उनके विचारों के खिलाफ राजनीती में दाखिला दिया और  दिल्ली में अच्छा प्रदर्शन कर उनके इगो को चोट पहुचाई है और वे (बेदी जी )अपने इगो को पहुची चोट का बदला केजरीवाल से व्यक्तिगत  रूप से लेना चाहती हैं |
2::किरण जी की नियति ठीक ना होना और यदि हो भी तो कब तक ?? चोरों के साथ रहकर कब तक साहूकारी करेंगी ?
यदि राजधानी की जनता इस बात को समझ पाती है तो किरण बेदी का बीजेपी ज्वाइन करना केजरीवाल के लिए फायदेमंद होगा ,हालांकि  काफी मुश्किल है :हम भारतीयों  की सोचने समझने की क्षमता कुछ ज्यादा ही बकैत है मेरे दायरे से बाहर |

Sunday, 11 January 2015



                             सपने है मेरे भी कुछ
                             पढ़-लिख समझ पता मैं भी ,
                                काश .......
                             तुमको , कौन हो तुम ?
                             जान पाता सरकार को |
                           पर तुम हो की छीन लेते हो ,
                           वजूद मुझसे मेरा |

                            मैं तो अनपढ़ हूँ
                         किसी और से सुनता हूँ ,
                           मेरी जमीन छिनने की खबर |
                            विकास खातिर ,
                             किसका ? किसकी कीमत पर ?

                        मुझे नही चाहिए
                            वह  सड़क,
                      जिस पर चलकर
                       खुर घिसते हों मेरे बैलों के |

                       नहीं चाहिए शाला वो
                        जिसमे पढ़ बच्चे मेरे
                    मेरा इतिहास दोहराते हों |
      



       भूमि  अधिग्रहण क़ानून 2013 में संशोधन (या बदलाव कहना उचित होगा ) करके किसानो की मर्जी के खिलाफ उनकी जमीन ली सकती है  ,लेकिन ये सब जनता के विकास हेतु किया जाएगा  | पांच एसे कार्यक्षेत्र हैं जिनके लिए जमीन की जरुरत पड़ने पर सरकार मालिक सहमति नही लेगी | जिनमे पांचवा है :
5:social infrastructure built under ppp(public private partnership)
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप जिसमे पब्लिक का हिस्सा होगा ? जिसका एक उदाहरण देखने को मिलता है: indira gandhi international airport के निर्माण हेतु ली गयी जमीन |
जनता को बिजली ,शिक्षा  उपलब्ध करवाने हेतु किसानो की जमीन छिनी जा सकती है | बिजली, क्यों ? सिंचाई के लिए ! किसकी सिंचाई ? वो जमीन जो किसी निजी कंपनी के अधिकार में है ,लेकिन आप चिंतित मत होयिए आपको मुआवजा मिलेगा आपकी जमीन के बदले लेकिन शर्त है कीमत वही मिलेगी जो सरकार को उचित लगेगी | किसानो से PPP के नाम पर जमीन ली जाएगी तथा विकास हेतु विदेशी कम्पनीज को आमंत्रित किया जाएगा SEZ(special economic zone) के तहत |There were about 143 SEZs (as of June 2012) operating throughout India, by June 2013 this had risen to 173.[15] 634 SEZs have been approved for implementation by theGovernment of India (as of June 2012).[16]
(स्त्रोत wiki)
SEZ के तहत कम्पनीज को टैक्स में छूट मिलेगी ताकि वो इन्वेस्ट कर सकें जिससे देश का विकास होगा ,लेकिन अमरीका ,जापान जैसे विकसित देशों में ये कम्पनीज नही है |ओह्ह ! मैं भूल गया था की वो विकसित हैं उन्हें तो और विकास की जरुरत नही वहां किसान नही हैं जिनकी जमीन वो छीन सकें |
ये कम्पनीज अपने नियम खुद बनाती हैं तथा इनके किसी भी नियम में उस देश की सरकार का कोई हस्तक्षेप नही होगा |कंपनी के अधिकार में आने वाले क्षेत्र में हुए कोई भी अपराध में स्थानीय पुलिस दखल नही दे सकती (अपराध किसी भी दर्जे का हो :बलात्कार ,हत्या )|मतलब यदि कंपनी की फ़ौज के आदमी हमारे देश की किसी महिला का बलात्कार करें तो दोषियों को सजा कंपनी का कानून देगा लेकिन अच्छा है अपना तो कानून ही अँधा है |
मेरा आशय किसी सरकार पर आक्षेप करना नही है |मेरा बस एक सवाल है विकास किसका ? अमीरों का या गरीबों का या देश का ?वैसे अपने देश में तो गरीब बहुत हैं |किसानो का देश भारत विकासौन्मुख !