बारूद भर कर पूछते हैं वो ,जलते क्यों हो ?
खैर करें वो ख़ुदा का ,हम फटते नही |
|
|
ग़र जल तुम रहे हो ,
तो तप हम भी रहे हैं |
तुम भी पलटो ,
हम भी पलटकर देखें
ये आग लगा कौन रहें हैं ?
|
|
मैं फैज़ हो जाऊं ,
मैं मंटो भी |
मैं दिनकर हो जाऊं ,
मैं शंकर भी |
बदलेगा वक़्त
सवाल वही होंगे
फिर होंगे मेरे जैसे कुछ और भी |
राहें बदलेंगी
राहगीर भी |
सच वही होंगे झूठ थे जो कल ,
झूठ होंगे जो कल भी
|
|
खुद से पूछना वही
जो मुझसे पूछते हो |
फिर एक बार हम भी पूछेंगें
बर्खुरदार ,
तुम इतने सवाल क्यों पूछते हो ?
खैर करें वो ख़ुदा का ,हम फटते नही |
|
|
ग़र जल तुम रहे हो ,
तो तप हम भी रहे हैं |
तुम भी पलटो ,
हम भी पलटकर देखें
ये आग लगा कौन रहें हैं ?
|
|
मैं फैज़ हो जाऊं ,
मैं मंटो भी |
मैं दिनकर हो जाऊं ,
मैं शंकर भी |
बदलेगा वक़्त
सवाल वही होंगे
फिर होंगे मेरे जैसे कुछ और भी |
राहें बदलेंगी
राहगीर भी |
सच वही होंगे झूठ थे जो कल ,
झूठ होंगे जो कल भी
|
|
खुद से पूछना वही
जो मुझसे पूछते हो |
फिर एक बार हम भी पूछेंगें
बर्खुरदार ,
तुम इतने सवाल क्यों पूछते हो ?