Friday, 2 November 2018

देखो क्या चल रहा है
 मरते मनुजों कि चिता में ख़ुदा जल रहा है
और एक अंधा  बूढ़ा है
वह आग लगा रहा है
वही चिता सजा रहा है
देखो क्या चल रहा है

आइना पिघल रहा है
आसमान जल रहा है
अंधा मंदिर-मस्जिद पर मचल रहा है
देखो क्या चल रहा है

वीरान रात में
अकेला आसमान  चिल्ला रहा है
शमशान की दहलीज पर खड़ा बूढ़ा ,
जलती चिताओं में हाथ सेंक रहा है
देखो क्या चल रहा है

परबत से आँसू बह निकले हैं
आंसुओं से पर मनुज भला कब पिघले हैं
परबत पर एक नादान तलवार लिए बैठा है ,
उसकी तलवार से काला खून निकल रहा है
देखो क्या चल रहा है