देखो क्या चल रहा है
मरते मनुजों कि चिता में ख़ुदा जल रहा है
और एक अंधा बूढ़ा है
वह आग लगा रहा है
वही चिता सजा रहा है
देखो क्या चल रहा है
आइना पिघल रहा है
आसमान जल रहा है
अंधा मंदिर-मस्जिद पर मचल रहा है
देखो क्या चल रहा है
वीरान रात में
अकेला आसमान चिल्ला रहा है
शमशान की दहलीज पर खड़ा बूढ़ा ,
जलती चिताओं में हाथ सेंक रहा है
देखो क्या चल रहा है
परबत से आँसू बह निकले हैं
आंसुओं से पर मनुज भला कब पिघले हैं
परबत पर एक नादान तलवार लिए बैठा है ,
उसकी तलवार से काला खून निकल रहा है
देखो क्या चल रहा है
मरते मनुजों कि चिता में ख़ुदा जल रहा है
और एक अंधा बूढ़ा है
वह आग लगा रहा है
वही चिता सजा रहा है
देखो क्या चल रहा है
आइना पिघल रहा है
आसमान जल रहा है
अंधा मंदिर-मस्जिद पर मचल रहा है
देखो क्या चल रहा है
वीरान रात में
अकेला आसमान चिल्ला रहा है
शमशान की दहलीज पर खड़ा बूढ़ा ,
जलती चिताओं में हाथ सेंक रहा है
देखो क्या चल रहा है
परबत से आँसू बह निकले हैं
आंसुओं से पर मनुज भला कब पिघले हैं
परबत पर एक नादान तलवार लिए बैठा है ,
उसकी तलवार से काला खून निकल रहा है
देखो क्या चल रहा है